हनुमान शिव मंदिर

हमारे बारे में जाने

बालक ने युवा अवस्था में प्रवेश करते ही महान विभूति दादा गुरु ब्रह्मलीन श्री श्री १००८ पं. राम गोपाल जी महाराज (अलवर वाले बाबा) के परम शिष्य श्री श्री १०८ भौरे लाल जी को अपना गुरु बनाया। आदरणीय गुरुजी के सन्निध्य में बीस (२०) वर्ष तक कठोर तपस्या के पश्चात् अपने जीवन के वास्तविक लक्ष्य को प्राप्त करके, जन-कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हुए परम पूज्य श्री श्री १०८ श्री श्याम सुंदर जी महाराज ने दिल्ली में यमुना नदी के तट पर सभापुर गाँव शाहदरा में चैत सुदी अष्टमी सन् १९९१ को एक विशाल मंदिर – “श्री हनुमान शिव (बाला जी) मंदिर” का निर्माण अपने कर कमलों द्वारा कराया। वर्तमान में यह सिद्ध पीठ स्थान भक्ति, वात्सल्य, ज्ञान का सागर, वैराग्य एवम् सर्वधर्म समभाव का प्रतीक् है। मंदिर की निर्माण शैली से प्रतीत होता है कि सैंकड़ों फरिश्तों ने मंदिर की भव्य कलाकृति को स्वयं आकर रेखांकित किया है।

hanuman-temple
shree-shyam-sundarji

प्रत्येक रविवार को इस पावन धाम में हजारों यात्रीगण अपने मनोकामना लेकर तथा रोग निवारण के लिए यहाँ आते हैं एवं पूज्य गुरुदेव से मात्र राम नाम की भभूति ग्रहण करके वांछित फल प्राप्ति करते हैं। श्री दरबार का जन कल्याणी दृश्य बड़ा ही विचित्र एवं आश्चर्यजनक होता है। भक्तजनों के भिन्न-भिन्न प्रश्नों के स्पष्ट प्रत्युत्तरों को सुनकर हर कोई दांतों तले उंगली दबा लेता है। इस समय की झांकी की अपूर्व अद्भुत छवि को लेखन द्वारा वर्णन करना दुश्वर ही है।

श्री दरबार में समय-समय पर आ. गुरुदेव के मुखारविन्द से गीता के उपदेश श्रवण करने का अवसर भी यात्रियों को प्राप्त होता है। यह लाभ वे ही ले पाते हैं जो निःस्वार्थ श्री दरबार में ध्यानपूर्वक बैठते हैं। सभी देवी-देवताओं की महिमा का साक्षात् रूप हैं आ. गुरुदेव श्री श्री श्याम सुंदर जी महाराज।

guruji-wondorful-image

मैंने स्वयं पिछले ४० वर्ष में आ. गुरुदेव के सानिध्य में रहकर उनके अनेक रूपों की अनुभूति की है। जैसा कि रोग-निवारण करते समय एक निपुण डॉक्टर, धर्म व ज्ञान की चर्चा करते समय संत-महात्मा, दो पक्षों का निर्णय देते समय न्याय मूर्ति, एवं मार्ग दर्शन देते समय गुरु का रूप, इत्यादि। वास्तव में श्री दरबार अलौकिक शक्ति का एक ऐसा प्रमाण है जिसकी अनुभूति से यह ज्ञात होता है कि दरबार एक उच्चकोटि का चिकित्सालय एवं सक्षम न्यायालय भी है।